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अथर्ववेद / Athrvaveda
- अथर्ववेद की भाषा और स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस वेद की रचना सबसे बाद में हुई।
- इसमें ॠग्वेद और सामवेद से भी मन्त्र लिये गये हैं।
- जादू से सम्बन्धित मन्त्र-तन्त्र, राक्षस, पिशाच, आदि भयानक शक्तियाँ अथर्ववेद के महत्वपूर्ण विषय हैं।
- इसमें भूत-प्रेत, जादू-टोने आदि के मन्त्र हैं।
- ॠग्वेद के उच्च कोटि के देवताओं को इस वेद में गौण स्थान प्राप्त हुआ है।
- धर्म के इतिहास की दृष्टि से ॠग्वेद और अथर्ववेद दोनों का बड़ा ही मूल्य है।
- अथर्ववेद से स्पष्ट है कि कालान्तर में आर्यों में प्रकृति-पूजा की उपेक्षा हो गयी थी और प्रेत-आत्माओं व तन्त्र-मन्त्र में विश्वास किया जाने लगा था।
सम्बंधित लिंक
श्रुतियां |
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शुक्ल यजुर्वेदीय | | | कृष्ण यजुर्वेदीय | |
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सूत्र-ग्रन्थ | | ॠग्वेदीय सूत्र-ग्रन्थ | | | यजुर्वेदीय सूत्र-ग्रन्थ |
शुक्ल यजुर्वेदीय | | | कृष्ण यजुर्वेदीय | |
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श्रुतियां |
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शुक्ल यजुर्वेदीय | | | कृष्ण यजुर्वेदीय | |
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